तुम मत करना इंकार प्रिये,
मैं प्यार सजा के लाया हूँ|
दे सकता हूँ उपहार कई,
हीरे-मोती या हार कोई,
ये सब तो हैं बेजान प्रिये,
मैं मन कंचन सा लाया हूँ|
तुम मत करना इंकार प्रिये,
मैं प्यार सजा के लाया हूँ|
इस दुनिया के कोलाहल में,
दिल की सुननी कुछ खेल नही,
तुम कर लो थोड़ा ध्यान प्रिये,
मैं दिल की धड़कन लाया हूँ|
तुम मत करना इंकार प्रिये,
मैं सपनो का कल लाया हूँ|
Friday, February 13, 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)