हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले
न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले।
है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें
तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दग़ी से पहले।
मेरा प्यार जल रहा है अरे चाँद आज छुप जा
कभी प्यार था हमें भी तेरी चाँदनी से पहले।
मैं कभी न मुसकुराता जो मुझे ये इल्म होता
कि हज़ारों ग़म मिलेंगे मुझे इक खुशी से पहले।
ये अजीब इम्तिहाँ है कि तुम्हीं को भूलना है
मिले कब थे इस तरह हम तुम्हें बेदिली से पहले।
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मैं होश मैं था तो उस पे मर
यह ज़हर मेरे लबो से उतर
कुछ उस के दिल मैं लगावट ज़रूर थी वरना,
वो मेरा हाथ दबा कर गुज़र
जिसे भुलाये कई साल हो गए याकूब,
मैं आज उस की गली से गुज़र
2 comments:
guru here
nice one maya touching to heart
Thanks guru. ya, such a piece of poetry!
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