This poem is dedicated to my one and only sweetheart and would be wife Mrinalini :)
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आ सपनो का घर बनाये,
अपनी हँसी से इसे सजाये,
विश्वास की नीव पे,
प्यार की ईंट लगाये |
रिश्तों की दीवार पे,
खुशियों की छत लगाये,
समझदारी की खिड़की हो,
शरारत के किवाड़ लगाये |
तेरे जुल्फों की छाँव में,
हसरतों का बिस्तर सजाये,
आ दिल से दिल मिलाये,
आ सपनों का घर बनाये
Thursday, October 22, 2009
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5 comments:
bahut badhiya....
Nice one nand...full of emotions...
Wah Wah Wah!
Good one :)
Thanks everyone :). Keep visiting..
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