तेरी राहों पे फूल बिछाने की ख्वाइश है,
तुझे सताने और फ़िर मानाने की ख्वाइश है,
तेरे आंसुओं को चुराने की ख्वाइश है,
तेरी हर ख्वाइश को अपना बनाने की ख्वाइश है.
Sunday, May 25, 2008
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वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान, निकल कर नैनो से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान -सुमित्रा नंदन पन्त
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