मेरी धड़कन भी कुछ गा रही है,
तू मेरी यादों में मुस्कुरा रही है.
तेरा झूठा गुस्सा,
तेरी सच्ची बातें,
दो लम्हों का मिलना,
कितनी अधूरी मुलाकातें.
तेरा यूँ चुप हो जाना,
फ़िर शर्मा के खिलखिलाना,
तेरा दूर जाना,
फ़िर दिल के करीब आना.
तेरी अनूठी सादगी,
फ़िर अचानक भाव खाना,
मेरा दिल समझता है,
बिन बोले तेरा सब कह जाना.
मेरी धड़कन भी कुछ गा रही है,
तू मेरी यादों में मुस्कुरा रही है.
Thursday, October 30, 2008
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4 comments:
very nice poem...!!!
Thanks puneet:)
i'll like to be in touch with u..
u write very well...
i read most of ur poems..
many of them are heart touching...
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