अजनबी, तुमसे पहचान पुरानी लगती है,
तेरे होंठों की मुस्कान सुहानी लगती है,
न समझो इसे मसखा जानम,
बातें दिल की यूँही बयां होती है.
Wednesday, September 24, 2008
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वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान, निकल कर नैनो से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान -सुमित्रा नंदन पन्त
1 comment:
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