Tuesday, November 18, 2008
मर्ज़
तेरे बिना हमसफ़र, इस सफर का क्या होगा,
तेरी यादों से जिंदा हूँ, और तुझे ही भूलना है,
अब बता मेरे खुदा, मेरी ज़िन्दगी का क्या होगा!
Monday, November 10, 2008
Some Fav Hindi Poems +Lines
कौन ढूंढे जबाब ज़ख्मों के, लोग तो बस सवाल करते हैं - गुलज़ार
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जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया, अब तुम तो जिंदगी की दुआएं मुझे न दो
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अग्नि पथ-हरिवंश राय बच्चन
अग्नि पथ, अग्नि पथ, अग्नि पथ !
व्रिक्ष हों भले खड़े,
हों घने,हों बडे़,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत,माँग मत!
अग्नि पथ, अग्नि पथ, अग्नि पथ !
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी- कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!
अग्नि पथ, अग्नि पथ, अग्नि पथ !
यह महान द्रश्य है-
चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
अग्नि पथ, अग्नि पथ, अग्नि पथ !
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वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे
जो इश्क को काम समझते थे
या काम से आशिकी करते थे
हम जीते जी मशरूफ रहे
कुछ इश्क किया कुछ काम किया
काम इश्क के आड़े आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आकर हमने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया
---Faiz Ahmed Faiz
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जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
कवि - शिवमंगल सिंह 'सुमन'.
जीवन अस्थिर अनजाने ही, हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं।
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते, सम्मुख चलता पथ का प्रसाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
साँसों पर अवलम्बित काया, जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गये, मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई।
पथ के पहचाने छूट गये, पर साथ-साथ चल रही याद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
जो साथ न मेरा दे पाये, उनसे कब सूनी हुई डगर?
मैं भी न चलूँ यदि तो क्या, राही मर लेकिन राह अमर।
इस पथ पर वे ही चलते हैं, जो चलने का पा गये स्वाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
कैसे चल पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अंतर?
कैसे चल पाता यदि मिलते, चिर-तृप्ति अमरता-पूर्ण प्रहर!
आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गये व्यथा का जो प्रसाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
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It's better to be alone than in a bad company
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If you can talk with crowds and keep your virtue,
Or walk with kings--nor lose the common touch,
If neither foes nor loving friends can hurt you;
If all men count with you, but none too much,
If you can fill the unforgiving minute
With sixty seconds' worth of distance run,
Yours is the Earth and everything that's in it,
And--which is more--you'll be a Man, my son!
-Rudyard Kipling
Thursday, October 30, 2008
तू मुस्कुरा रही है
तू मेरी यादों में मुस्कुरा रही है.
तेरा झूठा गुस्सा,
तेरी सच्ची बातें,
दो लम्हों का मिलना,
कितनी अधूरी मुलाकातें.
तेरा यूँ चुप हो जाना,
फ़िर शर्मा के खिलखिलाना,
तेरा दूर जाना,
फ़िर दिल के करीब आना.
तेरी अनूठी सादगी,
फ़िर अचानक भाव खाना,
मेरा दिल समझता है,
बिन बोले तेरा सब कह जाना.
मेरी धड़कन भी कुछ गा रही है,
तू मेरी यादों में मुस्कुरा रही है.
Wednesday, October 29, 2008
Matribhoomi
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लहू-लहान हुई धारा,
भाई-चारा चल बसा,
नफरतों की ज्वाला से,
घर अपना ही जल गया.
ठुकराया गया अपने देश में,
गया सताया इस देश में,
कैसे दिखाए अपनापन,
तू है पराया इस देश में.
कैसे करू तुझको नमन,
मुझको बता ऐ भारत माँ,
जब तेरे ही बेटों ने मुझको,
घर से निकाला ऐ हिंदुस्तान.
गर्व तुझपे था जो,
हो गया है पूरा खंडित,
अगले जन्म में ऐ भारत,
न कहलाना मेरी मातृभूमि.
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English Translation
There is bloodshed on land,
Feeling of brotherhood has gone,
Flames of Hatred,
Have burnt my own home.
Insulted in my very own land,
Tortured in this land,
How to show affection,
When I am stranger in my own land.
How can I salute you,
Tell me O motherland!,
When your own sons,
Expelled me O Hindustan!
The pride in my land,
has been completely shattered,
In my next birth, O India!
I wish you won't be called my motherland
Wednesday, September 24, 2008
अजनबी
तेरे होंठों की मुस्कान सुहानी लगती है,
न समझो इसे मसखा जानम,
बातें दिल की यूँही बयां होती है.
Tuesday, August 05, 2008
मेरा चाँद छुप गया है
पर चाँदनी कम नही है,
तेरा साथ तो नही है,
पर सहारा कम नही है.
मेरा प्याला कब से खली है ऐ साकी,
पर मदहोशी कुछ कम नही है,
बड़ी अँधेरी है राहें तेरी मेरे मौला,
पर एक टिमटिमाता दिया भी रोशनी के लिए कम नही है.
Sunday, May 25, 2008
ख्वाइश
तुझे सताने और फ़िर मानाने की ख्वाइश है,
तेरे आंसुओं को चुराने की ख्वाइश है,
तेरी हर ख्वाइश को अपना बनाने की ख्वाइश है.
Tuesday, May 06, 2008
ख़ुद
क्यों न समझे बात ये,
ख़ुद में पाप, ख़ुद में पुण्य,
ख़ुद में ही ये संसार रे.
ख़ुद को जब ढूंढ न पाए,
तो छाने किसकी खाक रे,
ख़ुद से बातें कर ले पहले,
बाकी सब कर बाद में.
साथी राह में बिछड़ जायेंगे,
ख़ुद ही तू तेरे साथ रे,
ख़ुद को जो पहचान ले बन्दे,
खुदा का तुझपे हाथ रे.
Tuesday, April 08, 2008
बरस जा
मुझे तू भीग जाने दे,
चिलमन के पीछे छुपी,
खुशी को अब आने दे.
नशा तेरे प्यार का मुझपे चढ़ जाने दे,
डूबने दे मुझे, अब होश में न आने दे,
प्रेम का दीपक न बुझाने पाए,
तू भी जल जा, मुझे भी जल जाने दे.
चाँदनी में तेरी जुल्फों का अँधेरा छाने दे,
तुझसे करू बातें, सारी दुनिया भूल जाने दे,
तेरी नरम-नरम साँसों में मुझे बस जाने दे,
सब भूल जाए मेरा नाम, मुझे दीवाना कहलाने दे.
Saturday, March 01, 2008
हजारों ख्वाहिशें ऐसी
हजारों ख्वाहिशें ऐसी
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमाँ, लेकिन फिर भी कम निकले
डरे क्यों मेरा कातिल क्या रहेगा उसकी गर्दन पर
वो खून जो चश्म-ऐ-तर से उम्र भर यूं दम-ब-दम निकले
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले
भ्रम खुल जाये जालीम तेरे कामत कि दराजी का
अगर इस तुर्रा-ए-पुरपेच-ओ-खम का पेच-ओ-खम निकले
मगर लिखवाये कोई उसको खत तो हमसे लिखवाये
हुई सुबह और घर से कान पर रखकर कलम निकले
हुई इस दौर में मनसूब मुझसे बादा-आशामी
फिर आया वो जमाना जो जहाँ से जाम-ए-जम निकले
हुई जिनसे तव्वको खस्तगी की दाद पाने की
वो हमसे भी ज्यादा खस्ता-ए-तेग-ए-सितम निकले
मुहब्बत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले
जरा कर जोर सिने पर कि तीर-ऐ-पुरसितम निकले
जो वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले
खुदा के बासते पर्दा ना काबे से उठा जालिम
कहीं ऐसा न हो याँ भी वही काफिर सनम निकले
कहाँ मयखाने का दरवाजा 'गालिब' और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं, कल वो जाता था के हम निकले
-- मिर्जा गालिब (Mirza Ghalib)
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चश्म-ऐ-तर - wet eyes
खुल्द - Paradise
कूचे - street
कामत - stature
दराजी - length
तुर्रा - ornamental tassel worn in the turban
पेच-ओ-खम - curls in the hair
मनसूब - association
बादा-आशामी - having to do with drinks
तव्वको - expectation
खस्तगी - injury
खस्ता - broken/sick/injured
तेग - sword
सितम - cruelity
क़ाबे - House Of Allah In Mecca
वाइज़ - preacher
Tuesday, February 26, 2008
अनकही
कुछ नगमे बस मन में गुनगुनाने दो,
ख्वाबों सा लगता है तेरा जहाँ,
मुझे अब नींद से जग जाने दो.
कुछ लम्हों को तस्वीर बन जाने दो,
कुछ रिश्तें बस बेनाम रह जाने दो.