Monday, January 22, 2007

Awesome Ghazals from Mehdi Hasan

हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले
न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले।

है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें
तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दग़ी से पहले।

मेरा प्यार जल रहा है अरे चाँद आज छुप जा
कभी प्यार था हमें भी तेरी चाँदनी से पहले।

मैं कभी न मुसकुराता जो मुझे ये इल्म होता
कि हज़ारों ग़म मिलेंगे मुझे इक खुशी से पहले।

ये अजीब इम्तिहाँ है कि तुम्हीं को भूलना है
मिले कब थे इस तरह हम तुम्हें बेदिली से पहले।

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मैं होश मैं था तो उस पे मर गया कैसे,

यह ज़हर मेरे लबो से उतर गया कैसे,

कुछ उस के दिल मैं लगावट ज़रूर थी वरना,

वो मेरा हाथ दबा कर गुज़र गया कैसे,

जिसे भुलाये कई साल हो गए याकूब,

मैं आज उस की गली से गुज़र गया कैसे ,