Tuesday, February 26, 2008

अनकही

कुछ बातें अनकही रह जाने दो,
कुछ नगमे बस मन में गुनगुनाने दो,
ख्वाबों सा लगता है तेरा जहाँ,
मुझे अब नींद से जग जाने दो.

कुछ लम्हों को तस्वीर बन जाने दो,
कुछ रिश्तें बस बेनाम रह जाने दो.