Monday, November 10, 2008

Some Fav Hindi Poems +Lines

कहने वालों का कुछ नहीं जाता, सुनने वाले कमाल करते हैं.
कौन ढूंढे जबाब ज़ख्मों के, लोग तो बस सवाल करते हैं - गुलज़ार
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जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया, अब तुम तो जिंदगी की दुआएं मुझे न दो
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अग्नि पथ-हरिवंश राय बच्चन


अग्नि पथ, अग्नि पथ, अग्नि पथ !


व्रिक्ष हों भले खड़े,
हों घने,हों बडे़,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत,माँग मत!
अग्नि पथ, अग्नि पथ, अग्नि पथ !


तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी- कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!
अग्नि पथ, अग्नि पथ, अग्नि पथ !

यह महान द्रश्य है-
चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
अग्नि पथ, अग्नि पथ, अग्नि पथ !
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वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे
जो इश्क को काम समझते थे
या काम से आशिकी करते थे

हम जीते जी मशरूफ रहे
कुछ इश्क किया कुछ काम किया
काम इश्क के आड़े आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा

फिर आखिर तंग आकर हमने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया
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Faiz Ahmed Faiz
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जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
कवि - शिवमंगल सिंह 'सुमन'.


जीवन अस्थिर अनजाने ही, हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं।
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते, सम्मुख चलता पथ का प्रसाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।

साँसों पर अवलम्बित काया, जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गये, मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई।
पथ के पहचाने छूट गये, पर साथ-साथ चल रही याद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।

जो साथ न मेरा दे पाये, उनसे कब सूनी हुई डगर?
मैं भी न चलूँ यदि तो क्या, राही मर लेकिन राह अमर।
इस पथ पर वे ही चलते हैं, जो चलने का पा गये स्वाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।

कैसे चल पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अंतर?
कैसे चल पाता यदि मिलते, चिर-तृप्ति अमरता-पूर्ण प्रहर!
आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गये व्यथा का जो प्रसाद –
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
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It's better to be alone than in a bad company
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If you can talk with crowds and keep your virtue,
Or walk with kings--nor lose the common touch,
If neither foes nor loving friends can hurt you;
If all men count with you, but none too much,
If you can fill the unforgiving minute
With sixty seconds' worth of distance run,
Yours is the Earth and everything that's in it,
And--which is more--you'll be a Man, my son!
-Rudyard Kipling

2 comments:

Not Specified said...

I am stealing the poem.. thanks in advance.

Maya (Nand) Jha said...

Shikha: sure, feel free, it is posted to get stolen. Btw I am not able to go to ur blog. U have denied public access?