Thursday, May 17, 2007

बंजारा

थाम लेते है लोग हाथ, कुछ पल के लिए,
ज़िन्दगी भर साथ निभाने का वादा, कोई नही करता,
दे देते है अपना साथ, फ़िर चल देते है सब,
अपने-अपने सफर पे, मंजिल तक साथ कोई नही चलता

जीवन के हर मोड़ पे इसके अर्थ बदल जाते है,
हर लक्ष्य साधके, फ़िर नए लक्ष्य बनते जाते है,
जो भी पा लिया है अबतक, सब व्यर्थ नज़र आते है

बंजारे हैं, मैं और मेरा दिल,
किसी एक जगह टिकते नही हम-दोनों,
भटकते रहते है जाने किस तलाश में,
बंजारे तो बस ऐसे ही होते है.

2 comments:

Anonymous said...

i likd the poem..nice theme..gud selection of words

Anonymous said...

Nicely written Maya...
I could relate so well, especially to these lines..
"Jeevan ke har mod pe iske arth badal jate hai,
Har lakshya sadhke, fir naye lakshya bante jate hai,
Jo bhi paa liya hai abtak, sab vyarth nazar aate hai"

Keep writing,
Maithily.