Wednesday, October 04, 2006

Poems Collected From Past

प्यार

प्यार कर के सबको देखो ,ये दुनिया बड़ी खूबसूरत है
कांटे भी फूल बन जाते है,प्यार में ऐसी ताकत है,
कौन कहता है की चाँद सूरज से है ये रोशन जमाना,
प्यार की रोशनी है ऐसी जिसकी सबको जरूरत है



अजनबियों के शहर में

आइना ही था एक परीचित अजनबियों के इस सहर में,
ऐसे में पैगाम तेरा, खुशियों की सौगात लाया,
अन्धियारें इस सफर में जैसे कोई चिराग आया,
दिल ये उछला हो के पुलकित,एक लड़की मेरे शहर में.

एक वीराने शहर में कोई अपना सा मिल गया था,
तन्हाई चीज़ है क्या, ये तो बस भूल गया था,
शब्द घुले जब उसके मेरे इन कानो में,
गम होता है क्या,ये तो बस भूल गया था.

दूर रहके दोस्तों से उनकी कीमत मान गया,
दोस्ती के कई मायने मैं तब जान गया,
दो पल की मुलाकात को दोस्ती न समझे,
दोस्ती बिन विश्वास के भला किस काम का है.

जाने समय को मुझसे क्यों बैर हुआ,
एक ही पल में अनजाने में सब चकनाचूर हुआ,
तन्हाई के अंधरे से, मेरे विवेक का नाश हुआ,
ये न पूछों अब मुझसे क्या-क्या मेरे साथ हुआ.

हर शब्द में मेरे जाने क्यों इतने अर्थ ढूंढे गए,
शब्दों के इस खेल में हम तो केवल तनहा रह गए.

अजनबियों
को अपना बना के देख ले भोले 'माया',
हर अपना होता है एक दिन अजनबी यारा,
भरा हो प्यार दिल में तो दोस्त मिल ही जाते है,
कुछ फूल रेगिस्तान में भी खिल ही जाते है.



मेरे सनम की आँखें

मेरे सनम की आँखें बन गई है मेरा गम ,
कोई शोला कहे, कोई आतिश कहे,कोई कहे इसे शबनम.

हर कोई देखे तुम्हे बड़े प्यार से,
ख़ुद को रखना सनम संभल के,
तू मासूम है,तू नादान है,
सारी दुनिया तेरे लिए बेईमान है.

तेरे हुस्न की जान है तेरी आँखें,
मेरा दिल मेरी जान है तेरी आँखें,
धड़का दे हर दिल को वो जाम है तेरी आँखें,
सच कहूँ तो कुदरत का सबसे हसी इनाम है तेरी आँखें.


फ़र्ज़

तुमपे है अभिमान देश को,तुमसे ही है शान देश की,
कुछ फ़र्ज़ तुम्हारा बनता है,हर क़र्ज़ तुम्हे चुकाना है,
जिस धरती पे सीखा तुमने चलना,उस देश को तेरी जरूरत है.


लड़कियाँ..

ये लड़कियां अजब होती हैं,
थोडी सी पागल होती हैं.

ख़ुद अपने प्रीतम का व्यवहार,
नही समझ पाता हूँ मैं,
क्यों हैं उसमे आक्रोश,
क्या चाहती हो वो,
ये मैं हूँ समझने में असमर्थ.

भूख लगी हैं,
पर खाती नही,
कौन सी ऐसी बात हैं
जो बताती नही.


शादी

सच कहता हूँ भाई,
सबसे बड़ी बुराई,
कभी न करना सगाई,
शादी का मतलब हैं लडाई.

सारी दुनिया जिससे घबराए,
यह वह रिश्ता हैं भाई,
पिंजडे में फस पंछी,
फ़िर कभी निकल न पाये.

एक दिन मैं कर रहा था सफाई,
बात ही बात में मान ने शादी की बात चलाई,
ये सुनते ही मुझे मदन भाई की याद आई,
मदन भाई था मेरा पड़ोसी जिसका धंदा था हप्ता वसूली,
एक दिन मैंने सुनी मदन भाई की रुलाई,
सोचा की जरूर आज इसकी गर्दन पुलिस के हाथ आई,
बहार निकला तो नज़ारा अलग था,
उसकी बीबी के हाथ में बेलन सामने उसका सर था...


लंगोट की कसम

जीत के रहेंगे हम, लंगोट की कसम,
दुनिया पीछे पीछे और आगे होंगे हम,लंगोट की कसम,

जीतना आदत है अपनी,हौसला ताकत है अपनी,
हार मान जाए जो हम,नही किसी में दम,
जीत के रहेंगे हम लंगोट की कसम.

3 comments:

Piyush said...

Langot Ek, Kisse Anek.

Good Work buddy

Maya (Nand) Jha said...
This comment has been removed by the author.
Maya (Nand) Jha said...

thanks man! i was made to write that by a senior:)