Wednesday, October 04, 2006

Romance


ये दिल....

हँसते-हँसते क्यों उदास हो गया है ये दिल,
जाने किस मोड़ पे आ गया है ये दिल,
सपनो से, अपनों से दूर जा रहा है ये दिल,
अपने ही साए से उलझता जा रहा है ये दिल.

अपने दिल से कैसे कहू दिल की बातें,
दिल ही दिल में तड़पता है ये दिल,
तू मेरे गम का अब गम न करना,
यूँ ही कम्बखत बहक जाता है ये दिल.
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तुम नही हो!

आज मैं खुश हूँ,
की मेरे ख्यालों में तुम नही हो,
आज ज़रा हंस लू,
की अब तेरी आरजू भी नही है.
आज ज़रा जी लू,
की अब मेरी जान तुम नही हो,
आज ज़रा धड़कने दूँ इस दिल को,
कि मेरी धड़कन में अब तुम नही हो,
आज थम लू इस पल को,
की अब इस पल में तेरी यादें नही है,

डरता हूँ तेरी यादों से,
उन अनकही बातों से,
उन अधूरी मुलाकातों से,
तेरे कदमों की आहट से,
दूर रहना तुमसे मजबूरी है,
प्यार में मिलना क्या ज़रूरी है?

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इश्क..

सुनो इस धड़कन को तो जानोगी,
झांको मेरे दिल में तो पहचानोगी,
कि तेरा नाम है मेरी हर धड़कन में,
कि तू ही बस तू बसी हैं इस दिल में

तुम कहोगे कि मैं दीवाना हूँ,
एक छलकता हुआ पैमाना हूँ,
इस दीवाने से मिलके तो देखो,
इस जाम को तुम चख के तो देखो,
तुम भी दीवानी हो जोगी,
इस ज़माने से बेगानी हो जाओगी.

लेकिन आज तुम मुझसे दूर हो,
खोई हुई कही अपने जहाँ में,
जुल्फे ये चेहरे से हटा दो,
आंखों से ये परदा गिरा दो,
झाकोगी तुम गर मेरे आंखों में,
इश्क के जादू से बच नही पाओगे
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चाँद को क्या देखू

अब मैं चाँद को क्या देखू,
जब तेरा चेहरा देख लिया,
अब फूलों का क्या देखू,
जब साँसों में बस तेरी खुशबू हैं

अब किसी सुर को क्या सुनू,
जब तेरी बोली में ही सरगम है,
ढूंढती है बस तुम्हे अब मेरी नज़रे,
मैं परियों को क्या देखू,
जब हर चेहरे में बस तुम हो

अब ज़न्नत में क्यूँ माँगू,
जब तेरा साथ मिल गया है,
अब रब से क्योँ दुआ करू,
जब मुझे तेरा हाथ मिल गया है

जाने मैं इस नगमे में क्या-क्या कह गया,
जब तुमसे मिलना था मेरा सपना टूट गया,
न आया करो मेरे सपनो में हमदम,
ऐसे ही सपनो में जब-तब मेरा दिल टूट गया

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