Thursday, August 23, 2007

वो

वो हसी-हसी, वो खिली-खिली,
बोलती है पर, कुछ चुप-चुप भी.

वो ज़हाँ जाए, मच जाए हुडदंग,
वो ऐसे चली जैसे कोई पतंग,
उसकी उमंग, जैसे जलतरंग,
जब वो हो संग, बाजे मृदंग,
हर साँस में, उसकी सुगंध,
आने से उसके, जीवन में रंग.

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